चल चल चल तू तेज़ चल... ज़िन्दगी है तेज़ तू तेज़ चल... आगे है बढ़ना तू तेज़ चल... देख निकला रहे तेरे विरोधी आगे... तू तेज़ चल... मंज़िल है दूर वक़्त है कम तू तेज़ चल.... रह ना जाए तू इस दौड़ में पीछे... तू तेज़ चल.... छोड़ रिश्ते नाते,पैसा है ज़रूरी..... तू तेज़ चल..... छोड़ प्यार, जिस्म की भूख है ज़रूरी... तू तेज़ चल.... अब थम ज़रा,देख मुड़ के पीछे... जीत गया तू इस दौड़ में,सब कुछ तो पा लिया तूने... पर जितना तेज़ तू चला उससे तेज़ यह वक़्त चला..... जितना तू दौड़ा उससे तेज़ यह वक़्त दौड़ा.... पा के तूने सब क्या पाया... जब छोड़ आया अपनों को पीछे.... क्या पाया जब ना पाया प्यार तूने... छोड़ आया दोस्ती और रिश्ते.... छोड़ आया वो वक़्त जिससे थी तेरी दौड़... ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरा करते करते छोड़ आया तू ज़िंदगी पीछे.... क्या पाया तूने जब खो आया तू खुद को ही पीछे....
One should always consider when taking action, not only the joy and pleasure that follows, but also the anguish and length of discomfort; especially when the anguish affects another party.
The masses will fight to preserve their liberties and freedoms, save for those who have fallen under a spell of delusion by the demagogue.